ना दुनिया की समझ हुई
ना दुनिया की समझ हुई
ना समझदारी की दुनिया रही
वो क़त्ल करके भी हाकिम रहे
हमारी तो अश्कों से यारी रही
कहते फिरते है सभी से
वो अपने दिल का अफसाना
जाने क्यों हमसे ही उनकी
शिकायत ताउम्र जारी रही
कभी जान कर और कभी अनजाने में
नादानियां उनसे हुई
फिर भी उल्फत की सदा
इस दिल पर खुमारी रही
जानते है उम्र भर ना पा सकेंगे उसको मगर
दिल को मेरे आज भी ,वादा ए वफा भारी रही
चुन लिया जब फूल मैंने कांटो से घबराना है क्या
बाग अपना हो ना हो , बागबां से तो यारी रही
रौशन💐
Gunjan Kamal
05-Feb-2023 02:03 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Sant kumar sarthi
04-Feb-2023 06:38 PM
Nice 👍🏼
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Swati chourasia
04-Feb-2023 12:16 AM
बहुत खूब 👌
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Raushan
04-Feb-2023 12:27 PM
Thank you dear ma'am
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